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कवी रविंदर सिंह कि कविता ( किशान )

kavi ravinder singh .com
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किशान

बोल ना कड़वा बिलकुल कहता

फटे  हुए  कपड़ो में रहता

ठिठर ठिठर कर  पाला सेहता

वर्षा में भी फसले बोता

ठीक गुजारा कभी ना  होता

बोझ शीस पर हर दिन ढ़ोता

महगाई को हर पल रोता

नींद चैन की नहीं है सोता

कठिन परिस्रम करता   जाये

रोज पसीना खूब बहाये

खुरपा  खुरपी खूब चलाये

दाल और चावल खूब उगाये

फसलो का पर दाम ना   पाये

साहूकार इसे लूटत जाये

नहीं पसीना खून बहाये

पूरा जीवन हाड तुड़ाये

वैसे तो किशान कहलाये

कवी रविंदर रोज  बताये

ऎसा है मेरा भारतीय  किशान      कवी रविंदर सिंह

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