Menu
blogid : 17926 postid : 721338

कवी रविंदर सिंह कि कविता (भगत सिंह)

kavi ravinder singh .com
kavi ravinder singh .com
  • 81 Posts
  • 46 Comments

आज २३ मार्च भगत सिंह का सहादत दिवस है भगत सिंह जी को समर्पित यह कविता

(भगत सिंह)

फासी ऊपर झूल गया था वीर भगत मरदाना रे

हॅस के चढ़गया भाजके फँसी कुछ भी ना गर्दाना रे…..

जवान लाल था वो पंजाबी गजब शेर के दिल वाला

सेवा करगया भारत माँ कि सबका   था  देखा भाला

रस पी पी के देश प्रेम का होगया था मतवाला

भगत सिंह ने देख फिरंगी खाते रहे तिवाला

हमे छोड़के चला गया वो वीर भगत परवाना रे  ..

चैन कहा था नींद रात मै उसे कभी ना आई

आजाद करूँगा भारत माता कसम वीर ने खाई

इंकलाब कि गांव गांव मै उसने जोत जलाई

फिकर करी ना देश के ऊपर गाल मै फांसी खाई

जान झोकदी आजादी मै ना देखा हर्जाना रे  …

कांप गया था सिंघासन लन्दन बम दाबके मारी

नींद करी थी हराम भगत ने अंग्रेजो की सारी

लिए हाथ में दीप क्रांति घूम गया बलकारी

सजा मौत कि मिली अदालत हुई चलन कि तियारी

सोच लिया था देश शेर ने आजाद कराना रे  …

भारत माँ ने वीर भगत को सन ३१ में खोया

सच है उस दिन भारत माँ का बच्चा बच्चा रोया

बीज क्रांति का योद्धा ने बहोत घणा था बोया

छंद रविंदर जड़े ऊन में अकसर अकसर टोहया

मुर्दे में भी जान फूकदे ऐसा रचा तराना रे ….

कवी रविंदर सिंह ऊन शामली

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply