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( जीवन पार नहीं होता )
हरपल रोते रहने से , चिंता मन में करने से
पल पल घुटकर मरने से , ये जीवन पार नहीं होता
ये जीवन पार नहीं होता ——-
दुःख तो लगे है सब के संग में
सब को रंगे है दुनिया रंग में
अब ना फसेंगे झूठी जंग में
केवल माला रठने से ये जीवन पर नहीं होता
हर पल रोते रहने से ये जीवन पर नहीं होता
जहर भरा हो अफसानो में
दिन बीते जब मयखानों में
दोष लगे जब अरमानो में
बाते झूठी बकने से ये जीवन पर नहीं होता
हर पल रोते रहने से ये जीवन पर नहीं होता
पाप भरा हो जब जा रग में
भार लगे है वो नर जग में
कांटे चुभे हो जब जा पग में
आँख खुली बस रखने से ये जीवन पार नहीं होता
हर पल रोते रहने से ये जीवन पर नहीं होता
जीवन तो ये युद्ध कर्म है
जीवन तो ये पुण्य धर्म है
या फिर मेरा ए क भर्म है
आज रविंदर लिखने से बस जीवन पार नहीं होता
हर पल रोते रहने से ये जीवन पर नहीं होता
कवी रविंदर सिंह ऊन
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