Menu
blogid : 17926 postid : 835072

राम मिला न भाई रे

kavi ravinder singh .com
kavi ravinder singh .com
  • 81 Posts
  • 46 Comments

जितने भी थे जतन करे पर राम मिला न भाई रे
घरवाली भी करे राधे राधे पाड़ गला चिल्लाई रे ……….

गा गा कीर्तन मोटा चिमटा जने कितनी बर तोड़ दिया
ढोल ढाल की गिणती कुछना पीट पीट के फोड़ दिया
मंदिर का वो घंटा हमने बजा बजा के मोड़ दिया
छ : छ : भिन्ने रहके हमने मंदिर भी अब छोड़ दिया
मेरी बहु ने एक मोढी की जमके टहल बजाई रे ………….

बद्री और केदार से तीरथ जने कितने बार घूम लिए
मोढ़े और पाखंडियो के भी चरण भतेरे चूम लिए
भांग धतूरा पी पीके भी हम मस्ती में झूम लिए
नाच्चे गावे जा मंदिर मै हम तो बण अब डूम लिए
राम मिलना करता है नु हमने उम्र गवाई रे …………..

खप्पर भरणी काली उप्पर मुर्गे चार चढ़ाये थे
गए सीकरी देवी के माँ भैंसे दो कटवाये थे
गुडगाम्मे की देवी उप्पर बकरे दो मरवाये थे
पाठ और पूजा करने खातर सयाणे भी बुलवाये थे
तेरी पड़ोसन के उप्पर जा फेर चाद्दर चड़वाई रे ————–

जाट रविंदर समझावे तेरे घट में राम समाया है
जड़ चेतन के अणु अणु में जावे राम बताया है
फिर भटकता दुनिया मै भग वान बता कित पाया है
अंधविश्वासी होकर के ते भारी पाप कमाया है
सत्यार्थ प्रकाश ने मेरी आँखे खोल बगाई रे ……….

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply