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कहते है भारत में नारी की पूजा होती है कभी कभी लगता है ये किताबो में ही लिखा अच्छा लगता है हकीकत में ऐसा नहीं है यदि सबसे जयादा शोषण किसी का होता है तो वो नारी का शोषण होता है आय दिन अखबारों में बलात्कार , दहेज़ जैसी अन्य खबरे पढ़कर मन दुखी होता है जो बलात्कार को अंजाम देता है वो आदमी नहीं हैवान होता है वो समाज और कानून की नजरो में अपराधी होता है कानून उसे सजा देता है लेकिन जो बलात्कार की शिकार होती है उसके लिए तो जीवन ही अभिशाप बन जाता हैं उस अभिशाप से छुटकारा मिलना लग भग मुमकिन नहीं होता बलात्कारी को उसकी सजा ही लगता है काफी नहीं होती इस तरह की घटनाओ का बढ़ना समाज के लिए चिंता का विषय है जिसे देखकर लगता है की हमारा जो उच्च स्तर जीने का होता था वो निरंतर गिरता जा रहा है जब तक समाज के लोगो का चरित्र उत्तम नहीं होगा तब तक ये घटनाये होती रहेगी आज हम ऐसे दौर में है जहॉ पर इंसान के चरित्र में घुन लगता जा रहा है एक बार मैंने कही पर पढ़ा था की ….एक बार एक लड़की किसी लड़के से फेसबुक पर मिली थी. लड़के ने लड़की से मिलने की बात कही फिर एक दिन लड़की ने हां कह ही दी.” लड़की ने रेस्त्रां में मिलने की बात की लेकिन लड़का अपने घर पर ही मिलना चाहता था, लड़की को लगा मां बाप के साथ ही रहता होगा. वैसे भी काफी अच्छी जगह में रहने वाला था , बड़े घर का लड़का था .” लड़की जब लड़के के घर पहुंची तो घर में लड़के के माता पिता तो नहीं दिखे, हां एक नौकर जरूर था. उसे भी लड़के ने कुछ लेने बाहर भेज दिया. लड़की मानती हैं कि उस वक्त वह नादान थीं क्योंकि उसके बाद जो हुआ, उसने लड़की की जिंदगी बदल कर रख दी, लड़की कहती है की मुझे “उसने पकड़ कर सोफे पर फैंक दिया और धमकाया ” लड़की बताती हैं कि उनके साथ बलात्कार किया गया, यह कहते कहते लड़की शून्य में खो सी जाती हैं, लड़के द्वारा लड़की को धमकी दी गई कि उसने इस सबका वीडियो बनाया है और अगर तूने अपनी जबान खोली तो वो वीडियो लीक कर दुँगा ………………आखिर डरी हुई लड़की ने किसी से भी कुछ नहीं कहा ” लड़की के मन में पहला ख्याल यही आया कि मेरे माता पिता, मेरे दोस्त, समाज मेरे बारे में क्या सोचेंगे.” वह अपनी जुड़वां बहन से भी इस बात को छिपाने की कोशिश करती रही. लेकिन कुछ दिन बाद लड़की ने हिम्मत जुटाई. और अपनी जुड़वाँ बहिन को सब कुछ बता दिया बहन उसे पुलिस के पास ले गयी. वहां से उसे जांच के लिए अस्पताल भेजा गया. विवादास्पद ‘टू फिंगर टेस्ट’ कर बलात्कार की पुष्टि की गयी. लड़की ‘टू फिंगर टेस्ट’ करने वाली महिला डॉक्टर की संवेदनहीनता को देख कर हैरान थी, “डॉक्टर ने कॉरिडोर के उस पार से आवाज लगाई, उस लड़की को लाओ जिसका रेप हुआ है.” , लड़की के शरीर पर जगह जगह नील भी पड़े हुए थे. डॉक्टर ने यह सब रिपोर्ट में भी लिखा. लेकिन अदालत में जब यही रिपोर्ट पेश की गयी, तो डॉक्टर मुकर गयी. उसने कहा कि वह ऐसी किसी रिपोर्ट के बारे में नहीं जानती, “वह बिक चुकी थी.” लड़के वालो की तरफ से लड़की को शादी का प्रश्ताव भी अदालत में दिया गया जिसे लड़की ने ठुकरा दिया था . जैसे जैसे खबर फैली आस पड़ोस के लोग लड़की को अजीब सी नजरों से देखने लगे. हालात यहां तक पहुंच गए कि लड़की को और उनकी बहन को अपना घर छोड़ अपनी किसी रिश्तेदारी में जाकर रहना पड़ा . कुछ वक्त बाद जब वह लड़की अपने घर लौटीं तो उन्होंने खुद को अकेला पाया, लड़की के दोस्तों ने लड़की के से बात करना छोड़ दिया था, वे बलात्कार पीड़ित से संपर्क नहीं रखना चाहते थे.” जब मुकदमा शुरू हुआ तो लड़की की जान पहचान वालों को धमकी भरे फोन आने लगे. इसके बाद अपराधी ने परिवार को पैसा दे कर चुप कराना चाहा. जब इससे भी बात नहीं बनी तो वकील ने अपराधी से शादी का प्रस्ताव अदालत में दोबारा रखा. जब लड़की ने इससे भी इंकार कर दिया, तो वकील ने अदालत में यह साबित करना शुरू कर दिया कि लड़की की स्वीकृति से ही संबंध बने.क्योकि अब वकील बिक चूका था लड़की बताती हैं कि वकील की दलील का अंदाज कुछ ऐसा होता था जैसे “इसका बलात्कार कौन करना चाहेगा?” ” फिर सबूतों के अभाव” में दोषी को छोड़ दिया गया. लेकिन लड़की ने अब भी हिम्मत नहीं हारी थी . उनकी वकील जो बिना पैसा लिए उनका मुकदमा लड़ रही थी वो लड़की के मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गई ……आखिर वो दिन आया जब लड़के को सजा हुई ….न्याय के इंतजार में भले ही
लड़की के करीबी लोगों ने उनका साथ छोड़ दिया था
गैरो ने किया अपनों ने मुह मोड़ लिया था
अब सपना कहाँ बचा था उसे भी तोड़ दिया था
गमो को जीवन से उसने जोड़ लिया था
यही दुनिया की रीति है ….सायद यही हम इन्शानो की नीति ….की यहाँ पर हर किसी को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्श करना पड़ता है …समय के साथ लोग रंग बदलने लगते है जिसे बदलाव कहा जाता है ये रंग बदलना ही कभी कभी किसी को बर्बाद तो किसी को आबाद कर जाता है कोई टूट जाता है कोई बिखर जाता है कोई पीछे छूट जाता है कोई संघर्ष में जीत जाता है तो कोई हार जाता है सायद ये ही नियति है और अस्तित्व की लड़ाई भी पता नहीं आज भी कितने हादसे इस तरह के दफन हो जाते होगे कितने अरमान चिताओ में सो जाते होगे कभी कभी जब ऐसी खबरे पढ़ने को मिलती है तो मेरी आँखो से निकले आशुओ की धारा अख़बार को भिगो देती है ….इन सबसे बचने का एक ही उपाय नजर आता है की सावधानी बरते….. अपने लिए खुद्द जिम्मेदार बने …..नहीं तो सावधानी हटी दुर्घटना घटी
रविंदर सिंह (ये मेरे निजी विचार है जिनसे किसी का कोई लेना देना नहीं है )
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