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चोर

kavi ravinder singh .com
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बिन चोरी के काम चोर का कौन्या चiल्ले  करता

ढेट मारके , चोरी करले ,चोर कति ना डरता ……

कली  -1

चोर को तो सुपने मै भी ख्याल आये जा

मार लिया मोटा डाक्का माल पाये जा

लाग्गे गुट्टे लात जहाँ चोर थाए जा

आम जामुन को भी चोर नहीं छोड़ता

लागते ही मौका बैरी सारे तोड़ता

रात के माँ कम्बल बैरी काला ओढ़ता

काम ही चोरी होवे इसका बिन चोरी ना सरता  ……

कली -2

छोड्डे डोरी केविल नहीं तार काटले

कहे पाच्छे बात सारी आग्गे नाटले

हेरा फेरी जाणे सारी   सiट्टा साटले

चोरी का वो माल बेच देखे मंदा ना

चोर को तो काम चोरी लाग्गे गन्दा ना

हये  बार बार जान बचे ऐसा धंधा ना

बुरे काम का बुरा नतिज्जा इसमे के निडरता  ……

कली  -3

चोर के ना जात बैरी हुआ करे सै

पिटे सुबह शाम वो तो किया भरे सै

करती बरया कौन्या उसका जिया डरे सै

होक्के को भी ठाले बैरी चोर निराला

चोर का तो लिकड़ा रहे रोज दिवाला

छिन्ने करता लोगो का वो रोज निवाला

पिटे फ्री मै करे कुसiमंद और हरजांना भरता …….

कली  -4

दांती फाला भी ना छोड्डे चोर गाम का

जो भी फ़से उसको तो दिखे नाम का

धोरे बैठा चोर नहीं होवे काम का

जुटती चप्पल भी ना छोड्डे चोर मौक्के पै

तुरंत के मा काँप जावे चोर टोक्के पै

हाथ जोड़ माफी मांगे चोर रोक्के पै

कहे रविंदर छोड़ दिया वो नहीं यही पे मरता …..

रविंदर सिंह

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