kavi ravinder singh .com
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जाये ये अब कहाँ पे
खाये ये दाना कहाँ पे
बनाये ये घर कहाँ पे
आकाश में धुँआ भारी
धरती पे शोर जारी
पेड़ो पे चलती आरी
कोई मुझे बताये
ये जाये कहाँ पे जाये
ये जाये कहाँ पे जाये
………………….रविंदर सिंह
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